साम्राज्यवाद (Imperialism) क्या है? परिभाषा | उपनिवेशवाद Vs साम्राज्यवाद


हेलो दोस्तों आज हम यह लेख में जाने वाले हैं की साम्राज्यवाद क्या हैसाम्राज्यवाद की परिभाषा और जाननेेे वाले हैं की उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद के बीच में क्या अंतर है? तो चलिए दोस्तों जानते हैं साम्राज्यवाद के बारेे में |

साम्राज्यवाद क्या है ?

साम्राज्यवाद दो शब्दों से मिलकर बना है। साम्राज्य और वाद इन दो शब्दों से मिलकर साम्राज्यवाद बना है।

साम्राज्य-  साम्राज्य से हमारा तात्पर्य होता है एक राजा तथा शासक का अधिकार क्षेत्र जहां तक उस राजा का अपना अधिकार होता है उसको कहते हैं साम्राज्य

वाद -वाद का मतलब होता है विस्तार( बाद एक प्रत्यय है जो किसी भी शब्द के साथ लग कर उस शब्द को एक विचार,सिद्धांत, व्यवस्था तथा दर्शन में बदल देता है )

अर्थात एक राजा तथा शासक द्वारा अपनी साम्राज्य बढ़ाना को कहते हैं साम्राज्यवाद। अब वो राजा तथा शासक अपने साम्राज्य को बढ़ाने के लिए चाहे  सैन्य कार्रवाई करें, राजनीति कार्रवाई करें या विद्रोह करें , चाहे जो भी तरीका अपनाए लेकिन उसको अपना क्षेत्र को बढ़ाना ही साम्राज्यवाद कहलाता है।

दूसरे अर्थ में कहे तो उपनिवेशवाद की बड़ा तथा चरम रूप को कहते हैं साम्राज्यवाद जिसमें प्रत्यक तथा अप्रत्यक रूप से किसी भी देश के शासन, व्यापार तथा संसाधनों पर कब्जा तथा राजनीतिक प्रक्रिया को अपने अधीन करके उस देश के नागरिकों को शोषण करना, उन्हें अपने अधीन करना इसको कहते हैं साम्राज्यवाद। उपनिवेशवाद का संबंध आर्थिक शोषण से है जबकि साम्राज्यवाद आर्थिक, राजनीति, सामाजिक एवं संस्कृति शोषण से संबंधित है।

एक वाक्य में बोले तो एक शक्तिशाली राष्ट्र एक दुर्बल राष्ट्रों को अपने अधीन में लेकर आस्तिक, राजनीतिक और सामाजिक संसाधनों को अपने हित में उपयोग करना को साम्राज्यवाद कहते हैं।

साम्राज्यवाद की परिभाषा:-

• सामाजिक विज्ञान विशकोष के अनुसार – साम्राज्यवाद एक ऐसी नीति , जिसका उद्देश्य, एक विशाल आकार वाला राज्य है, जो अनेक आधुनिक स्पष्ट इकाइयों से मिलकर बना हो, और एक केंद्रीय इच्छा के अधीन हो ।

• चार्ल्स ए.  बीयर्ड के अनुसार –  सभ्य राष्ट्रो की कमजोर और पिछड़े हुए लोगों पर शासन करने की इच्छा, वह नीति साम्राज्यवाद कहलाती है।

• लेनिन के अनुसार- वर्तमान में आर्थिक कारण महत्वपूर्ण हो गई है, इसलिए जो पूंजीवाद की अंतिम अवस्था है वह साम्राज्यवाद कहलाती है।   अर्थात लेनिन के अनुसार पूंजीवाद की अंतिम अवस्था को साम्राज्यवाद कहते हैं।

साम्राज्यवाद का विकास का कारण क्या था

1. महत्वकांक्षी शासकों की विस्तार वादी इच्छा

2. अतिरिक्त जनसंख्या को स्थानांतरित करना

3. आर्थिक कारण – ( कंचा माल/ बड़ा बाजार )

4. राजनीतिक कारण ( राजनीति शक्ति को बढ़ाना)

5. नैतिक एवं धार्मिक कारण

इन सभी कारणों के अलावा बहुत सारे कारण है जो कि साम्राज्यवाद को बढ़ाने में काफी योगदान रहा है लेकिन ऊपर लिखे कारणों को साम्राज्यवाद विकास का महत्वपूर्ण कारण माना गया है।

साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद के बीच अंतर

साम्राज्यवादउपनिवेशवाद
साम्राज्यवाद लेकिन शब्द “imperium” से आया है जिसका अर्थ है command ( आदेश)Colony लैटिन शब्द colonus से आया है जिसका अर्थ है कि खेती करना
साम्राज्यवाद तब होता है जब एक देश अपने शक्ति को दिखाने के लिए एक साम्राज्य बढ़ाने तथा सीमाओं को बढ़ाने के कामों में शामिल होता हैउपनिवेशवाद तब होता है जब एक देश अपने जब एक देश अपने संसाधनों को दोहन करने की दृष्टि से दूसरों देशों पर युद्ध और कूटनीति के संयोजन के माध्यम से शारीरिक रूप से अपना वर्चस्व कायम करता है।
साम्राज्यवाद स्वतंत्र क्षेत्रों पर प्रतिक्षा संख्या और प्रत्येक नियंत्रण के माध्यम से नियंत्रण करने के बारे में हैउपनिवेशवाद में क्षेत्रों में लोगों की आवाजाही होगी इस प्रक्रिया में छाई रहने वाले बसेरों
साम्राज्यवाद की इतिहास मैं प्राचीन साम्राज्य के उपनिवेशवाद से बहुत पुराना है, लेकिन आमतौर पर रोमन साम्राज्य से जुड़ा हुआ है।आधुनिक अर्थ में उपनिवेशवाद 15 वी शताब्दी मैं शुरू हुआ था जॉब यूरोपियन लोगों ने एशिया और अफ्रीका के बड़े क्षेत्रों में उपनिवेश बनाना शुरू कर दिया था.

संक्षिप्त में समझे तो साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद के बीच में यह नीचे दिए गए तो अंतर है

1. साम्राज्यवाद का अर्थ है अपने देश की बॉर्डर को बनाना, पड़ोसी क्षेत्रों में विस्तार करना और अपने प्रभुत्व का दूर तक विस्तार करना। उपनिवेशवाद एक ऐसा शब्द है जहां एक देश विजेता होता है और अन्य क्षेत्रों पर शासन करता है।

2. साम्राज्यवाद विजित क्षेत्रों पर या तो संप्रभुता या नियंत्रण के अप्रत्यक्ष तंत्र के माध्यम से सत्ता का प्रयोग कर रहा है। उपनिवेशवाद में, कोई भी व्यक्ति नए क्षेत्र में लोगों की बड़ी आवाजाही देख सकता है और स्थायी बसने वालों के रूप में रह सकता है।

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